कोटा के कोचिंग सेंटर्स में अगले दो महीने यानी अक्टूबर तक एक भी टेस्ट आयोजित नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही यहां संडे के दिन क्लासेस ऑफ रखी जाएंगी।
Kota News : शहर में सुसाइड की लगातार बढती जा रही घटनाओं से देशभर के चिंतित अभिभावक बच्चों, कोचिंग व हॉस्टल संचालकों को कॉल कर पूछ रहे है कि आखिर कोटा में यह क्या हो रहा है। बच्चे लगातार सुसाइड करने पर विवश क्यों हो रहे है। लेकिन विद्यार्थियों द्वारा निंरतर आत्महत्या करने की घटनाओं पर सभी कोचिंग संस्थान मौन है। जिला प्रशासन द्वारा शहर के सभी हॉस्टलों के कमरों में सुरक्षा के लिये हैंगिंग स्प्रिंग लगाने के निर्देश देने के बावजूद यह सिलसिला थम नहीं सका। अगस्त, 2023 तक शहर में 23 कोचिंग विद्यार्थी आत्महत्या कर चुके हैं जो पिछले 10 वर्षो में सर्वाधिक है।
कलेक्टर ऑफिस के ऑर्डर ने लगाई रोक
जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट ओ पी बुनकर ने रविवार को एक आदेश जारी कर कोटा में अध्ययनरत कोचिंग विद्यार्थियों को मानसिक संबल एवं सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से शहर में संचालित सभी कोचिंग संस्थानों में विद्यार्थियों के समय-समय पर होने वाले टेस्ट या परीक्षा पर आगामी 2 माह के लिये तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। इसकी सूचना संयुक्त सचिव उच्च शिक्षा विभाग, जयपुर सहित पुलिस प्रशासन, कोचिंग संस्थानों एवं हॉस्टल एसोसिएशन को दे दी गई है।
अलग पुलिस थाना खोलने का प्रस्ताव
उधर, शहर के बढती आत्महत्या की घटनायें पुलिस प्रशासन के लिये चुनौती बन गई हैं। शहर पुलिस मुख्यालय को एक प्रस्ताव भेजने की तैयारी कर रही है जिसमें कोटा में कोचिंग विद्यार्थियों के लिये अलग पुलिस थाना खोलने की मांग की जायेगी। कोचिंग विद्यार्थियों को सुरक्षित वातावरण देने के लिये कई प्रयास किये जा रहे हैं। सप्ताह में एक दिन कोचिंग विद्यार्थियों को अवकाश देकर फन डे मनाया जा रहा है। हालांकि जिला प्रशासन के दिशा निर्देश हैं कि अवकाश के दिन कोचिंग संस्थान में कोई टेस्ट या परीक्षा आयोजित नहीं हो।
मोबाइल की लत से बढा डिप्रेशन- मंत्री
शिक्षाविदों का कहना है कि बोर्ड परीक्षायें एवं इंजीनियरिंग व मेडिकल की प्रवेश परीक्षायें मार्च से मई के दौरान होती है, उसके बाद रिजल्ट घोषित होते हैं। लेकिन अगस्त में इतने छात्रों द्वारा सुसाइड करने के कारणों का पता लगाया जाना चाहिये। सोमवार को प्रदेश के आपदा प्रबंधन मंत्री गोविंद राम मेघवाल ने कोटा में सुसाइड के लिये मोबाइल की लत को मुख्य कारण बताकर सबको चौंका दिया। उन्होंने कहा कि बच्चे रात-दिन मोबाइल में व्यस्त रहते हैं, जिससे उनमें डिप्रेशन बढ जाता है। पहले बच्चे परिवार में रहकर बडों की सलाह मानते थे। आज माहौल बदल गया है। अकेले रहने से उनमें पढाई का तनाव बढ जाता है।
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